सुखराम कहते, ‘एक दिन सबके पास मोबाइल का सुख होगा’, …और लोग हंस देते!

Daastaan-Go ; Pt Sukhram Sharma : उस वक्त तक डिब्बे और रिसीवर वाला टेलीफोन ही हर घर में नहीं था. जहां था, वहां भी दुरुस्तगी से काम नहीं करता था. सो, पंडित सुखराम की बात पर हंसी छूटना बड़ी बात नहीं थी. लेकिन सुखराम भी इरादों के पक्के थे. महज तीन साल में वे देश में मोबाइल-क्रांति की जमीन तैयार कर गए.

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