दास्तान-गो : ‘आलम का सफ़र… ‘संगीत-संसार’ उस्ताद अलाउद्दीन खां तक!

Daastaan-Go ; Ustad Allauddin Khan Death Anniversary : एक दिन केदारनाथ डॉक्टर के हत्थे चढ़ गया. वे पूछ बैठे, ‘ऐ लड़के कौन है तू?’ ‘मैं घर से भागकर आया हूं, साहब. गाना-बजाना सीखना है. आप किसी उस्ताद को जानते हों, तो बता दीजिए न.’ उसने भोलेपन से कहा. लेकिन पलटकर झिड़की मिली ज़वाब में, ‘काहे का गाना-बजाना? आवारा कहीं का. उस्ताद चाहिए. चल भाग यहां से. नहीं तो लगाऊं जूता.’ झिड़ककर डॉक्टर चलते बने. लेकिन वह नहीं भागा. डटा रहा.

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