'जिस्म-फ़रोशी करने वाली हर औरत वेश्या नहीं होती, मां भी हो सकती है!' भीतर तक झकझोर देती है मक्सीम गोर्की की कहानी 'नीली आंखों वाली स्त्री'
"बिना कुछ कहे, सिर झुकाए, उसने अभिवादन किया और धीरे-धीरे मेज़ की ओर तैर चली. उसकी भौंहें खिंची थीं और अपनी गंभीर नीली आंखों से वह अफ़सर की ओर देख रही थी. निम्न मध्य वर्ग की स्त्री की भांति वह मामूली और सीधे-सादे कपड़े पहने थी. उसके सिर पर एक शॉल पड़ा था और वह कंधों पर बिना आस्तीन का एक भूरा लबादा डाले थी जिसके छोरों को वह अपने छोटे-छोटे सुंदर हाथों की नाजुक उंगलियों से बराबर मसोस रही थी. उसका क़द लंबा, बदन गुदगुदा और वक्ष ख़ूब भरे-पूरे थे. उसका माथा ऊंचा और अधिकांश स्त्रियों से ज़्यादा गंभीर और कठोर था. उसकी उम्र सत्ताईस के क़रीब मालूम होती थी. वह बहुत ही धीरे-धीरे और विचारों में डूबी मेज़ की ओर बढ़ रही थी, मानो मन ही मन कह रही हो…" प्रस्तुत है रूस की क्रांति को आमंत्रित करने वाले अमर नायको में से एक मक्सीम गोर्की की मार्मिक रूसी कहानी 'नीली आंखों वाली स्त्री'.
from Latest News देश News18 हिंदी https://ift.tt/eofSILW
from Latest News देश News18 हिंदी https://ift.tt/eofSILW
Comments
Post a Comment