पीड़ित को मुआवजा देने से अपराध खत्म नहीं होता, कोर्ट का FIR रद्द करने से इनकार

Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि मानसिक विकृति के जघन्य और गंभीर अपराधों या हत्या, बलात्कार और डकैती जैसे अपराधों के लिए मामलों को रद्द करने की उसकी शक्तियों का सावधानीपूर्वक उपयोग किया जाना चाहिए क्योंकि इनका समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 307 के तहत अपराध को जघन्य और गंभीर अपराध माना जाता है क्योंकि इसे मुख्यत: समाज के खिलाफ अपराध माना जाता है, न कि किसी व्यक्ति के खिलाफ.

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